प्रोग्राम्ड यूनिवर्स 6

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बिना सपोर्टिंग टूल्स के आत्मा का अस्तित्व नहीं हो सकता

  अब इसे खुद के शरीर से समझिये— क्या आप आंख बंद करके देख सकते हैंमुंह बंद कर के बोल सकते हैंकान बंद कर के सुन सकते हैंजाहिर है नहीं— क्योंकि देखनेबोलनेसुनने के लिये आपको इन अंगों की जरूरत है तो मरने के बाद अगर आपका शरीर यहीं नष्ट हो जाना है तो आत्मा के पास देखनेसुननेबोलने के लिये अंग कहां से आयेंगेइसलिये आत्माभूतप्रेत सिर्फ इंसानी वहम हैइससे ज्यादा और कुछ नहीं।

  हां अगर चेतना को ऊर्जा के तौर पर डिफाईन किया जाये तो ऊर्जा का नियम उसपे भी अप्लाई करना पड़ेगा कि वह न पैदा होती हैन नष्ट होती हैसिर्फ ट्रांसफर होती है। पैदा होने को हम समझ सकते हैं कि जीते जी अपने शरीर में ही हम कोशिका विभाजन के अंदाज में अपनी ऊर्जा के एक छोटे हिस्से को शुक्राणु या अंडाणु के रूप में डिवाइड कर देते हैं जो बाद में एक गर्भ के रूप में स्वतंत्र इकाई बन जाती हैलेकिन तब दो सवाल खड़े हो जायेंगे कि पहली चेतना कहां से आई और मरने के बाद यह किस रूप में ट्रांसफर होती है।
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Paranormal illusion
  बहरहाल— पैरानार्मल एक्टिविटीज तो होती ही हैं और इन पर दुनिया भर में रिसर्च भी होती है। आधुनिक यंत्रों से इन्हें डिटेक्ट भी किया जाता है लेकिन इनका कोई भी संतोषजनक जवाब अभी तक ढूंढा नहीं जा सका। धार्मिक लोगों से इतर हम कुछ संभावनाओं पर विचार जरूर कर सकते हैं।

  कई बार आपने महसूस किया होगा कि फेसबुक या व्हाट्सएप पर हम लाईक कमेंट कहीं करते हैं और वह हो कहीं और जाते हैं— यह चूँकि एक मैकेनिकल ऑब्जेक्ट से जुड़े हैं तो हम इन्हें टेक्निकल एरर कह सकते हैंजो कभी फोन के ठीक से फंक्शन न करने पर होते हैं तो कभी एप्स के— जबकि किसी गैजेट से बाहर ऐसी ही चीजों को हम आत्मा भूत प्रेत या थोड़ी कायदे की भाषा में पैरानार्मल एक्टिविटीज के तौर पर जानते हैं।
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पैरानार्मल एक्टिविटीज को सिस्टम एरर भी ख सकते हैं

  असल में यह पैरानार्मल एक्टिविटीज भी टेक्निकल एरर हो सकती हैं क्योंकि हम सिर्फ धातु से बनी चीजों को ही सिस्टम समझने के आदि हैंजबकि टाईप थ्री या फोर सिविलाइजेशन के टाईम जब हम इन चीजों को अपने हिसाब से गढ़ सकेंगे— तब समझ पायेंगे कि यह पेड़ पौधेबारिशआंधी तूफानजीव जंतुइंसान सबकुछ सिस्टम ही है और सिस्टम है तो उसमें टेक्निकल एरर की संभावना भी बनी ही रहती है।
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Paranormal Activity
  या इसे यूँ मान लें कि असल में 'वक्तएक भ्रम है— हम कई यूनिवर्स में एक साथ कई रूपों में जी रहे हैं और किसी तरह एक दूसरे से अटैच हैं— यहां भूतवर्तमानभविष्य अलग-अलग नहींबल्कि एक साथ चल रहे हैं और हमारे आसपास हर पल चेंजेस हो रहे हैंजिसे हम समझ नहीं पाते। मान लीजिये यह पूरा सिस्टम 'फेसबुकहै... यहां हम भूतवर्तमानभविष्य (इवेंट में) सब जगह दर्ज हैं। फिर हम आईडी डिएक्टिवेट करते हैंया वह परमानेंट सस्पेंड हो जाती है— तो उसका लाईककमेंटशेयर या इवेंट अटेंडिंगहर जगह से एग्जिस्टेंस यूँ खत्म हो जाता हैजैसे वह कभी था ही नहीं।

  या हमारे बीच की कोई डिएक्टिवेटेड आईडी फिर से सालों बाद एक्टिवेट हो जाती हैजिसे हम भूल चुके थे तो हम अपनी किसी पुरानी पोस्ट पे उसका कमेंट देख कर हैरत में पड़ जाते हैं। इसी तरह अपने सिस्टम को मान लीजिये— मान लीजिये हम भूत भविष्य और वर्तमान तीनों फ्रेम में एक साथ एग्जिस्ट कर रहे हैं और हमारे ही किसी एक्शन से बार-बार कुछ न कुछ परिवर्तन हो रहा है और हम उसे ठीक से समझ नहीं पा रहे— जैसे हम फिल्म की तरह तयशुदा सिक्वेंस देखते हैंजबकि वीडियो गेम में उसी फार्मेट में सिक्वेंस में फेरबदल हो पाना संभव हो जाता है। यह छोटे मोटे फेरबदल हो सकता है कि वाकई हमारे आसपास हो रहे हों— अगर हम एक सिस्टम हैंप्रोग्राम हैं तो— फिर उस कंडीशन में यह फेरबदल भी पैरानार्मल एक्टिविटीज का आधार हो सकते हैं।
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पैरानार्मल एक्टिविटीज बहुयामी सभ्यता की वजह से भी हो सकती है

  दूसरी संभावना के तौर पर हम इसे एक और तरह से देख सकते हैं कि इंसान किसी गैजेट के थ्रो पांचवे आयाम का प्रयोग करते हुए अतीत में या भविष्य में आ जा तो सकता है— अपने आप के समेत घटनाओं को सामने घटते देख सकता है लेकिन खुद से वहां किसी भी घटना पर न प्रभावी हो सकता है न वहां मौजूद लोगों द्वारा देखा जा सकता है— बावजूद इसके वह सीमित दायरे में अपने होने के संकेत दे सकता है...

  इसे इंटरस्टेलर’ मूवी में देख के समझ सकते हैं जहां कूपर अतीत में वहां पंहुचता है जहां से फिल्म की कहानी शुरु हुई थी और बाईनरी/मोर्स कोड में अपनी बात कहता है जबकि सदृश रूप में वह खुद ही उन किताबों के गिरने को वहम ठहराता है और बेटी मर्फ यह कहती है कि नहींयह आप हैं जो कुछ कहने की कोशिश कर रहे हैं और अंत में वह उस संदेश को पकड़ने में कामयाब हो जाती है।
  तीसरी संभावना वही हो सकती है जो पहले बताई— चींटियों की टू डायमेंशनल दुनिया में हम थ्री डायमेंशनल जीवों द्वारा किया गया हर एक्ट उनके लिहाज से पैरानार्मल एक्टिविटीज ही होगा। ऐसा ही हमारे साथ भी हो सकता है कि किसी और आयाम में रहने वाले जीवों की हर एक्टिविटी हमारे लिये पैरानार्मल एक्टिविटी हो सकती है।

  चौथी संभावना में हम उन जीवों या चीजों को फिट कर सकते हैंजिनका उदाहरण पहले दिया था— यानि इस गति से हरकत करने वाली कोई चीज जिसे हम देख ही न सकें और देख नहीं सकते तो फिलहाल उनका एग्जिस्टेंस ही हमारे लिये कल्पना भर है लेकिन साथ ही एक सच यह भी है कि हम अभी अपनी दुनिया को समझने के नाम पर बहुत शुरुआती स्टेज में हैं और होने को कुछ भी हो सकता है जो हमारी समझहमारे ज्ञान और हमारी संभावनाओं से ही परे हो। 
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Multidimensional Space

  स्पेस में दिलचस्पी रखने वाला लगभग हर इंसान इस उलझन से जरूर दो चार होता है कि क्या हम ब्रह्मांड में अकेले हैं या फिर हमारे जैसी और भी सभ्यतायें हैं। अगर हैं तो कैसी हैं— यह बहुत बड़ा रोमांच है जिस पर दुनिया भर में ढेरों किताबें लिखी गयीं और हॉलीवुड वालों ने बहुतेरी फिल्में बनाई हैं। यह शायद उनका सबसे पसंदीदा सब्जेक्ट है।
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Written by Ashfaq Ahmad

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