टाईम/समय

  

समय क्या है 

जब छोटा था तब यह दो लाईनें बहुत बार सुनी थी जिनमें एक थी कि जब कुछ नहीं था तब समय भी नहीं था। दूसरी कि बिगबैंग से पहले समय का अस्तित्व नहीं था। यह बात सुनने में भी अजीब लगती है कि समय नहीं था.. भला यह कैसे मुमकिन है? मतलब ठीक है हम नहीं थे, चलिये पृथ्वी भी न रही होगी लेकिन समय तो चल ही रहा था। बिगबैंग से पहले ठीक है पूरा यूनिवर्स एक सिंगुलैरिटी पर बज कर रहा था लेकिन जितने वक्त तक यह उस अवस्था में रहा था, वह पीरियड भी तो कहीं समय से ही मापा गया होगा।
समय का मतलब घड़ी या घड़ी की टिकटिक नहीं है, समय का मतलब एक काल या अवधि है जिसे हम घड़ी की टिकटिक से मापते हैं। मसलन पृथ्वी को अपनी धुरी पर घूमने को हम चौबीस घंटे के एक दिन के रूप में कैलकुलेट करते हैं, या चांद के पृथ्वी का एक चक्कर लगाने की अवधि को महीने के रूप में परिभाषित करते हैं या पृथ्वी के सूर्य का एक चक्कर लगाने की ड्यूरेशन को साल के रूप में जोड़ते हैं और इस पृथ्वी से परे इस तरह की जितनी गणनायें हम करते हैं वे पृथ्वी के हिसाब से ही करते हैं जबकि उन ग्रहों पर वे गणनायें उनके हिसाब से होंगी।


सबसे फसादी तो समय की परिभाषा है कि यह है क्या.. यह जो हर गुजरता पल है, हम इसे ही समय के रूप में जानते हैं और इसे भूत, वर्तमान और भविष्य के रूप में बांटते हैं लेकिन यह एक दूसरे फ्रेम में भ्रम पैदा कर देता है.. मसलन हमारा दिमाग कहता है कि हम अपनी घड़ी देख कर जितने पल में एक लाईन बोलते हैं, ठीक उतने ही पल में इस ब्रह्माण्ड में कहीं भी वह लाईन बोल सकते हैं और यह दोनों जगह के पल समान रूप से गुजरने चाहिये जबकि ऐसा होता नहीं है और एक सामान्य बुद्धि के लिये यहीं सबसे बड़ी उलझन खड़ी हो जाती है कि ऐसा क्यों नहीं है, समय यानि गुजरते पल तो हर दशा में समान ही होने चाहिये। यानि अगर आपने दस सेकेंड में मेरी पोस्ट का एक पैरा पढ़ा तो हर जगह आपको दस सेकेंड ही लगने चाहिये और यहाँ और वहां के दस सेकेंड समान ही होने चाहिये।

समय सभी जगह एक समान नहीं होता

एक उदाहरण से समझिये.. सपोज आपने टेली पोर्टेशन की तकनीक विकसित कर ली है और माईक्रो सेकेंड में आप इंटर गैलेक्टिक यात्रा कर सकते हैं। अब यहां पृथ्वी पर बैठ कर अपने भाई को बोलिये कि वह पांच मिनट में पूरा हो सकने वाला गाना गाये, और फिर खुद यहाँ से दूर किसी गैलेक्सी में किसी मैसिव प्लेनेट या ब्लैक होल के इवेंट होराइजन में (कल्पना के लिये) ट्रांसमिट हो जाइये और पांच मिनट वाले उसी गाने को गाइये और वापस आ जाइये। आपको क्या लगता है, दोनों भाइयों ने एक समय पर गाना खत्म किया है?
जी नहीं.. घड़ी या गुजरने वाले पलों के हिसाब से तो आपने एक ही ड्यूरेशन में गाने के टास्क को पूरा किया है लेकिन आपके भाई को गाना गाये सात-आठ महीने या एक साल हो चुका है और इस बीच उसने अनगिनत पल गुजार डाले हैं। चौंक गये न.. बस यहीं समय की सच्चाई समझ में आती है। इसके साथ ही चाहें तो एक और प्रयोग कर लें कि फिर दोनों भाई पांच मिनट के गाने वाले टास्क को फिर करें और इस बार आप एक ऐसे यान में शिफ्ट हो जायें जो लाईट की 99% स्पीड से चल रहा है और अपना टास्क पूरा करके वापस आ जायें.. आप पायेंगे कि भाई को टास्क पूरा किये अरसा हो गया और आपने जस्ट पूरा किया है।


इससे एक बात पता चलती है कि जैसा एक सामान्य दिमाग सोचता है कि समय यानि गुजरते हुए पल सभी जगह समान रूप से गुजर रहे हैं जबकि वाकई में ऐसा नहीं है और यह समय अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग गुजर रहा है यानि सबका समय अलग है.. अब अगर अलग है तो फिर इसका शुरू या खत्म होना भी मुमकिन है और यह संभावना ही इस बात की तस्दीक कर देती है कि बिगबैंग से पहले समय का अस्तित्व नहीं था। या जब कुछ नहीं था तब समय भी नहीं था।
चलिये इसे थोड़ा और आसान कर के समझते हैं। समय की अगर कोई शुद्ध परिभाषा पूछे तो बताना टेढ़ी खीर है लेकिन यह दरअसल बदलाव है, बदलाव मतलब चेंज। हर नैनो सेकेंड होता बदलाव ही समय है, यूनिवर्स में हर चीज गति कर रही है और गति मतलब हर क्षण परिवर्तन हो रहा है, कहीं भी कुछ भी स्थिर नहीं है। यूनिवर्स खुद हर पल एक्सपैंड हो रहा है, सभी क्लस्टर हर सेकेंड गति करते जगह बदल रहे हैं, इनके अंदर मौजूद गैलेक्सीज लगातार जगह बदल रही हैं, अपनी मिल्की वे 825000 की रफ्तार से मूव हो रही है, अपनी पृथ्वी 10700 की स्पीड से दौड़ती जा रही है और दौड़ने के साथ ही 1670 की स्पीड से घूम भी रही है।
कहीं भी कुछ भी स्थिर नहीं है, आप चाह कर भी इसे रोक नहीं सकते, आपके आसपास हर सेकेंड परिवर्तन हो रहा है.. आप एकदम स्टैचू खड़े हैं तब भी आपके आसपास वातावरण में मौजूद गैस के कण मूव कर रहे हैं (कभी किसी बंद जगह में बाहर से आती गति में मोटे कणों का मूवमेंट देखिये), अगर किसी तकनीक से इन्हें भी स्थिर कर दें तो भी हर एटम के अंदर मौजूद इलेक्ट्रॉन गति करते रहेंगे.. यानि 'फ्रीज' की अवस्था आप चाह कर भी नहीं पैदा कर सकते।
यही हर पल होता चेंज असल में समय है और यह शुरू कब हुआ? बिगबैंग के साथ, उससे पहले चूंकि यूनिवर्स का सारा मैटर एक सिंगुलैरिटी पर स्थिर था तो कोई चेंज कहीं नहीं घट रहा था। चेंज नहीं हो रहा था मतलब समय का अस्तित्व नहीं था, बिगबैंग के साथ ही यह परिवर्तन शुरू हुआ और तभी यह कहा जाता है कि समय का अस्तित्व बिगबैंग के बाद हुआ।


समय गति और ग्रेविटी से प्रभावित होता है

अब यह अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग कैसे गुजरता है, इसे हवा को माॅडल बना के समझिये। हवा और पृथ्वी एक ही है लेकिन तीन प्वाइंट पकड़िये, जिनमें एक जगह हवा पचास किमी की गति से चल रही है, दूसरी जगह सौ की स्पीड से और तीसरी जगह दो सौ की स्पीड से.. अब तीनों जगह चुटकी से पाउडर उड़ाइये। आप पायेंगे कि घड़ी के हिसाब से सेकेंड बराबर गुजरे हैं मगर तीनों जगह पाउडर ने उतने ही वक्त में अलग-अलग दूरी तय की है। यही अलग-अलग समय का गणित है।
यानि यह इस चीज पे डिपेंड करता है कि किसी ऑब्जेक्ट के आसपास यह समय रूपी परिवर्तन दरअसल किस गति से हो रहा है और तय करता है उस ऑब्जेक्ट का माॅस+ग्रेविटी। यानि जितना ज्यादा माॅस होगा, उसके आसपास परिवर्तन उसके हैवी आकर्षण के कारण उतनी ही धीमी गति से घटेगा। जैसे अपने ही सौरमंडल में पृथ्वी चूंकि जूपिटर के मुकाबले कम माॅस रखती है तो यहाँ जो परिवर्तन होगा वह जूपिटर के मुकाबले तेज होगा, जबकि जूपिटर पर वह धीमी गति से घटेगा। तो घड़ी के हिसाब से आप भले अपने भाई के साथ एक ही टाईम में जूपिटर पे जा कर पांच मिनट वाले गाने का टास्क करें मगर जब पृथ्वी पर वापस आयेंगे तो भाई को गाना खत्म हुए टाईम हो चुका होगा, जबकि आप बस अभी फिनिश कर के लौटे होंगे।
इस परिवर्तन पर दो चीजें असर डालती हैं.. माॅस+ग्रैविटी और गति। गति मतलब आप जितनी गति से मूव कर सकते हैं, आपके लिये परिवर्तन उतना ही स्लो हो जायेगा। मतलब अगर आप लाईट स्पीड वाले यान में बैठ कर सफर करें तो आपके लिये समय धीमी गति से गुजरेगा जबकि आपके अकार्डिंग पृथ्वी पर रहने वाले आपके भाई का काफी तेज गुजरेगा। यानि आप उस यान से कुछ सालों में मिल्की वे टहल कर जब वापस आयेंगे तो पायेंगे कि आपका भाई बूढ़ा हो चुका है।

Written by Ashfaq Ahmad

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