Saavri/सावरी

 

यह कहानी सौमित्र बनर्जी की आत्मकथा के रूप में लिखा एक ऐसा दस्तावेज हैजो अंत में एक रोमांचक मोड़ के साथ जब अपनी परिणति पर पहुंचता है तो इस कहानी के उस मुख्य पात्र को यह पता चल पाता है कि रियलिटी में वह अपने कमरे के अंदर अपने बेड पर सोता ही रहा थालेकिन एक वर्चुअल दुनिया में उसने एक ऐसे रहस्यमयी शख़्स सौमित्र बनर्जी के जीवन के बारे में सबकुछ जान लिया था— जो एक अभिशप्त जीवन को जीते हुए उसी के ज़रिये अपने जीवन से मुक्ति पाता है। 
कहानी में जो भी हैवह भले एक आभासी दुनिया में चलता है लेकिन कुछ अहम किरदारों का गुज़रा हुआ अतीत है— जिसमें क़दम-क़दम पर रहस्य और रोमांच की भरपूर डोज मौजूद है। सभी कैरेक्टर अपनी जगह होते तो वास्तविक हैं लेकिन वे रियलिटी में रहने के बजाय दिमाग़ के अंदर क्रियेट की गई एक वर्चुअल दुनिया में रहते हैंजहां उनकी शक्तियां एक तरह से असीमित होती हैं।

यह एक ऐसे मैट्रिक्स की कहानी हैजो बाहर की हकीक़ी दुनिया में नहीं चलताबल्कि दिमाग़ के अंदर बनाई गई ऐसी दुनिया में चलता है— जहां कहानी के मुख्य ताकतवर पात्र दूसरे किरदारों को उनकी मर्ज़ी के खिलाफ अपनी उस दुनिया में खींच लेते हैंजहां वे उनके साथ रोमांस भी कर सकते हैं और उन्हें शारीरिक चोट भी पहुंचा सकते हैं। यहां तक कि वे उनकी जान भी ले सकते हैं।

अंग्रेज़ दम्पति के यहां पलते सौमित्र बनर्जी को उसके बीसवें बर्थडे की पार्टी कर के घर लौटने के दौरान एक रहस्मयी लड़की सावरी मिलती हैजो उसे उसके जन्म की हकीक़त बताती है। वह उसे उसके पिता के बारे में बताती है और खास उस दिन के लिये उसके पिता की तरफ़ से सुरक्षित की गयी डायरी तक उसे पहुंचाने में मदद करती है— जो उसके पिता सौमिक बनर्जी ने उसके लिये छोड़ी थी।

डायरी से उसे अपने पिता की हकीक़त पता चलती है कि वह कलकत्ते के एक रसूखदार परिवार से सम्बंधित था लेकिन अपने ऊलजलूल शौक के चलते परिवार से अलग हो गया था। उसने असम के अंदरूनी जंगलों में पाई जाने वाली एक मायावी शक्ति अगाशी को साधने में अपना जीवन ही दांव पर लगा दिया था और अपनी उस कोशिश के पीछे इस हाल में पहुंच गया था कि अब न ज़िंदों में ही रहा था न मुर्दों में।

उसके साथ अतीत में कुछ उसी के जैसे जुनूनी और काली शक्तियों को साधने के शौकीन लोगों नेअगाशी को साधने की दिशा में एक ज़रूरी शक्ति पाने की गरज से अफ्रीका के गहरे अंधेरे जंगलों की यात्रा की थीऔर उन आदमखोर आदिवासियों से वह ताक़त पाने की कोशिश में सौमिक बनर्जी के सिवा उसके सारे यात्री एक सहरअंगेज़ तजुर्बे के साथ मारे गये थे— लेकिन सौमिक वह ताक़त पाने में फिर भी कामयाब रहा था और अकेला ज़िंदा वापस लौटा था।

इसके बाद उसने असम के जंगलों की यात्रा की थी लेकिन वहां अगाशी की सत्ता चलती थीजो वास्तविक दुनिया में कहीं थी ही नहीं। वह हज़ारों साल पहले मर चुकी एक ऐसी राजकुमारी थी जो एक अलग ही आयाम में रहती थी। उसके पास उन निशाचरों की एक बेहद खतरनाक सेना थी— जो उसके लिये लगातार शिकार लाते थे। वे सब शिकार इंसानों के ब्लड और फ्लेश पर पलते थे और इससे ही ताक़त हासिल करते थे और इसी तरह से वे ख़ुद को अमर बनाये हुए थे।

सौमिक उनसे लड़ने जाता हैअगाशी को साधने जाता है ताकि उसकी बेशुमार शक्तियां और अमरत्व हासिल कर सके… उसकी भरपूर कोशिश के बाद भी उसकी लड़ाई आधे-अधूरे में खत्म होती है। उसे अगाशी की शक्तियां तो नहीं मिलतींन ही अगाशी बाकी शिकारों की तरह उसे कंज्यूम कर पाती है— लेकिन उसे वह अमरत्व ज़रूर मिल जाता हैजो उसका एक लक्ष्य था… लेकिन उस अमरत्व के अभिशाप को जब सौमिक झेलता है तो उसे मुक्ति की ख्वाहिश पैदा हो जाती है और इसी ख्वाहिश के चलते उसने संयोग से पैदा हुए बेटे को अपने जीवन के अनुभवों से भरी डायरी के साथ कलकत्ते में सुरक्षित करता है।

अब वह वक़्त आ चुका थाजहां उसके बेटे सौमित्र को पिता का अधूरा काम पूरा करना था और अगाशी पर विजय हासिल करनी थी— और इसीलिये उसे अब असम के उन जंगलों में बुलाया जा रहा था। सावरी उसके पिता के दूत के तौर पर उसे बुलाने आई थी— लेकिन यह पूरा सच नहीं था। वह ख़ुद को इस तरह जाने के लिये तैयार नहीं कर पाता लेकिन रवानगी का वक़्त आने तक वह जैसे किसी जादू से तैयार हो जाता है— उसे अहसास नहीं हो पाता कि उसकी रवानगी में भी उसकी अपनी इच्छा का कोई रोल नहीं था बल्कि उसे कहीं और से तैयार किया गया था।

जब वह इस सफर पर निकलता है तब मलिंग के रूप में एक नये कैरेक्टर की एंट्री होती हैजो अपने चेलों के साथ उसे अपने सपनों में खींच लेता है और उसे मारने की कोशिश करता है। क़दम-क़दम पर उसकी तरफ़ से मिलती चुनौतियों के बीच सावरी लगातार उसकी मदद करती है और इन कोशिशों के अंजाम में उसे ख़ुद को साधने-संवारने के वह दुर्लभ मौके मिलते हैं कि वह अपने आप को अगाशी से मुकाबले के लिये तैयार कर पाता है।

अब असम के सफर पर आखिर किसने तैयार किया था उसे यूं अपनी ज़िंदगी दांव पर लगाने कोसावरी अगर वह नहीं थीजो ख़ुद को जता रही थी तो फिर और कौन थीऔर सौमित्र को अपने साथ ले जाने के पीछे उसका क्या मकसद थामलिंग कौन था और भला वह सौमित्र की जान के पीछे क्यों पड़ा थाजो अगाशी वास्तविक दुनिया में थी ही नहींउसे जीतना भला कैसे संभव थाजहां वह थीवहां बस उसी की मर्ज़ी चलती थीवह उसी की बनाई आभासी दुनिया होती थीजहां वह दूसरे वास्तविक दुनिया के लोगों को खींच कर कंज्यूम कर लेती थी— भला ऐसी शक्ति से कोई इंसान कैसे पार पा सकता थासौमित्र के इस सफर का अंजाम क्या हुआक्या वह अगाशी जैसी ताक़त का सामना कर सका?

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